पहले का मंदिर का चित्र |
फिर एक बार कुदरत का कहर
फिर एक बार मीडिया में शोर
फिर एक बार नेताओं का हवाई दौरा
फिर एक बार दानबीरों की कर्मठता
फिर एक बार प्रशाशन का कुम्भकर्णी नींद से जागना
फिर एक बार
मन में कौंधता
अनुत्तरित प्रश्न
आखिर ये कब तक
हम चेतेंगें भी या नहीं
आखिर
जल जंगल जमीन की अहमियत कब जानेगें?
अभी का मंदिर का चित्र |
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
सब कुछ यही होने वाला है !!
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteसच कहा है आपने ... इंसान तब जागेगा जब खत्म होने के कगार पे होगा ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
ReplyDeletebahut badiya aur sahi baat kahi aapne
ReplyDeleteसामयिक और सटीक प्रस्तुति ।
ReplyDeleteचेतने के लिये बदलाव लाना होगा । स्वार्थी लोगों को हटाना होगा ।
यथार्थपुरक और सटिक हमारे आज पर ।
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