प्रीत
नज़रों ने नज़रों से नजरें मिलायीं
प्यार मुस्कराया और प्रीत मुस्कराई
प्यार के तराने जगे गीत गुनगुनाने लगे
फिर मिलन की ऋतू आयी भागी तन्हाई
दिल से फिर दिल का करार होने लगा
खुद ही फिर खुद से क्यों प्यार होने लगा
नज़रों ने नज़रों से नजरें मिलायीं
प्यार मुस्कराया और प्रीत मुस्कराई
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
दिल के रिश्तों से सम्बन्धित आपकी कविताई लाजवाब है।
ReplyDeleteअनेकानेक धन्यवाद टिप्पणी हेतु.
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ReplyDeleteबहुत खूब, सुन्दर रचना
सादर !
हार्दिक धन्यवाद
Deleteवाह....
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना...
:-)
Thanks Reenaji.
Deletesunder neh se bhari rachna
ReplyDeleteshubhkamnayen
नज़रों ने नज़रों से नजरें मिलायीं
ReplyDeleteप्यार मुस्कराया और प्रीत मुस्कराई ..
वाह क्या बात है ... प्रीत मुस्कुराती रहे हमेशा ...
आपकी प्रतिक्रिया से संबल मिला - हार्दिक धन्यवाद
Deleteawesome post .... very well written & fabulous as always
ReplyDeleteplz . visit -http://swapniljewels.blogspot.in/2013/01/a-kettle-of-glitters.html
आप का बहुत शुक्रिया होंसला अफजाई के लिए.
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