Sunday, October 18, 2015

नवरात्र के सातवें दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की उपासना

नवरात्र के सातवें दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की उपासना 
 
तुम भक्तों की रख बाली हो ,दुःख दर्द मिटाने  बाली हो
तेरे चरणों में मुझे जगह मिले अधिकार तुम्हारे हाथों में

तुम दीन भगिनी दुःख हर्ता हो ,तुम  जग की पालनकर्ता हो  
 इस मुर्ख खल और कामी का उद्धार तुम्हारे हाथों में

नब रात्रि में भक्त लोग माँ दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा अर्चना करके माँ का आश्रिबाद  प्राप्त करतें है।

नवरात्र के सातवें दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की उपासना की जाती है.  
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।
मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यन्त भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं. इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकरी' भी है.दुर्गा पूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की आराधना का विधान है. इस दिन साधक का मन 'सहस्रर' चक्र में स्थित रहता है. उसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है.मां कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार के समान पूरी तरह काला है. सिर के बाल बिखरे हुए और गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है.
मां के तीनों नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं. इनसे बिजली के समान चमकीली किरणें निकलती रहती हैं. नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं. इनका वाहन गर्दभ है.चार भुजाओं वाली मां के ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ से सभी को वर प्रदान करती हैं. दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है. बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है.मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में सातवें दिन इसका जाप करना चाहिए.

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (20-10-2015) को "हमारा " प्यार " वापस दो" (चर्चा अंक-20345) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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