मैं , लेखनी और ज़िन्दगी
Writer and Poet. Play with words to express feelings.
Wednesday, May 23, 2012
मुक्तक
रोता नहीं है कोई भी किसी और के लिए
सब अपनी अपनी किस्मत को ले लेकर खूब रोते हैं
प्यार की दौलत को कभी छोटा न समझना तुम
होते है बदनसीब ,जो पाकर इसे खोते हैं
मुक्तक प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)