Tuesday, April 17, 2018

क़यामत से क़यामत तक हम इन्तजार कर लेंगें



बोलेंगे  जो  भी  हमसे  वो  हम ऐतवार कर  लेगें
जो कुछ  भी उनको प्यारा  है  हम उनसे प्यार कर  लेगें

वो  मेरे पास आयेंगे ये सुनकर के ही  सपनो  में
क़यामत  से क़यामत तक हम इंतजार कर लेगें

मेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत है
उसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगें

जीवन भर की सब खुशियाँ  उनके बिन अधूरी है
अर्पण आज उनको हम जीबन हजार कर देगें

हमको प्यार है उनसे और करते प्यार वो हमको
अपना प्यार सच्चा है हर  मंजिल पर कर लेगें

क़यामत से क़यामत तक हम इन्तजार कर लेंगें


मदन मोहन सक्सेना

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (17-04-2017) को "सबसे बड़े मुद्दा हमारे न्यूज़ चैनल्स" (चर्चा अंक-2944) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (18-04-2017) को "सबसे बड़े मुद्दा हमारे न्यूज़ चैनल्स" (चर्चा अंक-2944) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. namaskar adarniy madan ji , bahut dinon baad sakriy hui hoon umda gajal punah padhi , hardik badhai

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  4. बहुत बढ़िया रचना ...

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