स्वार्थ
प्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हम
दर्द की खुशबु भी देखो आ रही है प्यार
से
दर्द का तोहफा मिला हमको दोस्ती
के नाम पर
दोस्तों के बीच में हम जी रहे थे भूल
से
बँट गयी सारी जमी फिर बँट गया ये
आसमान
अब खुदा बँटने लगा है इस तरह की तूल
से
सेक्स की रंगीनियों के आज के इस दौर
में
स्वार्थ की तालीम अब मिलने लगी स्कूल
से
आगमन नए दौर का आप जिस को कह रहे
आजकल का ये समय भटका हुआ है मूल से
चार पल की जिंदगी में चंद सासों का
सफ़र
मिलना तो आखिर है मदन इस धरा की धूल से
प्रस्तुति:
आगमन नए दौर का आप जिस को कह रहे
ReplyDeleteआजकल का ये समय भटका हुआ है मूल से
चार पल की जिंदगी में चाँद सांसो का सफ़र
मिलना तो आखिर है मदन इस धरा की धूल से.......क्या खूब, बहुत सुन्दर सार्थक पंक्तियां।
बहुत ही सार्थक और सुन्दर प्रस्तुती,सादर ।
ReplyDeleteआपकी यह रचना आज गुरुवार (11-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
सुन्दर भाव !
ReplyDeleteसुन्दर भाव !
ReplyDeleteॐ शान्ति .
ReplyDeleteआगमन नए दौर का आप जिस को कह रहे
आजकल का ये समय भटका हुआ है मूल से
बेहतरीन है .
चार पल की जिंदगी में चाँद सांसो का सफ़र
मिलना तो आखिर है मदन इस धरा की धूल से
चंद साँसों का सफर चार दिन की ज़िन्दगी में बढ़िया प्रयोग।
चाँद के स्थान पर चंद कर लें .(chnd)
बहुत सुंदर, आभार
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे ,
राज चौहान
क्योंकि सपना है अभी भी
http://rajkumarchuhan.blogspot.in