ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
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उत्थान पतन मेरे भगवन है आज तुम्हारे हाथों में
प्रभु जीत तुम्हारें हाथों में प्रभु हर तुम्हारें हाथों में
मुझमें तुममें है फर्क यही में नर हूँ तुम नारायण हो
मैं खेलूँ जग के हाथों में संसार तुम्हारें हाथों में
तुम दीनबंधु दुखहर्ता हो तुम जग के पालन करता हो
इस मुर्ख खल और कामी का उद्धार तुम्हारे हाथों में
मेरे तन मन के तुम स्वामी हो भगवन तुम अंतर्यामी हो
मेरे जीवन की इस नौका का प्रभु भर तुम्हारे हाथों में
तुम भक्तों के रखबाले हो दुःख दर्द मिटने बाले हो
तेरे चरणों में मुझे जगह मिले अधिकार तुम्हारे हाथों में
मदन मोहन सक्सेना
बहुत ही अच्छी प्रार्थना की आपने ईश्वर से। आशा है आपकी प्रार्थनाओं को शीघ्र पूर्ण करेंगे।
ReplyDeleteमुझमें तुममें है फर्क यही में नर हूँ तुम नारायण हो
ReplyDeleteमैं खेलूँ जग के हाथों में संसार तुम्हारें हाथों में.
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
मुझमें तुममें है फर्क यही में नर हूँ तुम नारायण हो
ReplyDeleteमैं खेलूँ जग के हाथों में संसार तुम्हारें हाथों में
प्रभू चरणों में सुन्दर वंदना ...
लाजवाब है .. भक्ति रस में सरोबर ...
बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुती,आभार.
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