उसे हम बोल क्या बोलें जो दिल को दर्द दे जाये
सुकूं दे चैन दे दिल को , उसी को बोल बोलेंगें ..
जीवन के सफ़र में जो मुसीबत में भी अपना हो
राज ए दिल मोहब्बत के, उसी से यार खोलेंगें ..
जब अपनों से और गैरों से मिलते हाथ सबसे हों
किया जिसने भी जैसा है , उसी से यार तोलेंगें ..
अपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
मिलेगा प्यार से हमसे ,उसी के यार होलेंगें ..
जितना हो जरुरी ऱब, मुझे उतनी रोशनी देना
अँधेरे में भी डोलेंगें उजालें में भी डोलेंगें ..
मदन मोहन सक्सेना
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबढ़िया है भाई जी |
ReplyDeleteआभार ||
बहुत सुन्दर रचना।।
ReplyDeleteअपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
ReplyDeleteमिलेगा प्यार से हमसे ,उसी के यार होलेंगें ..
...बहुत खूब!
ReplyDeleteजो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए ...अच्छी रचना है .जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए ...अच्छी रचना है .शुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी का .
अपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
ReplyDeleteमिलेगा प्यार से हमसे ,उसी के यार हो लेंगें ...
प्यार जीवन हो जाए ... यार अपना हो जाए तो फिर बात ही क्या ....
achha likha hai
ReplyDeleteshubhkamnayen
वाह ...(एक बोल मेरा भी )
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