किसी के खो गए अपने किसी ने पा लिए सपनें
क्या पाने और खोने का है खेल जिंदगी।
दिल के पास हैं लेकिन निगाहों से बह ओझल हैं
क्यों असुओं से भिगोने का है खेल जिंदगी।
उम्र बीती और ढोया है सांसों के जनाजे को
जीवन सफर में हँसने रोने का खेल जिंदगी।
जिनके साथ रहना हैं नहीं मिलते क्यों दिल उनसे
खट्टी मीठी यादों को संजोने का है खेल जिंदगी।
किसी को मिल गयी दौलत कोई तो पा गया शोहरत
मदन कहता कि काटने और बोने का ये खेल जिंदगी।
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
अनायास मिली है जिंदगी
ReplyDeleteजो बोयेंगे वही मिलेगा !
अनेकानेक धन्यवाद सकारात्मक टिप्पणी हेतु.
Deleteजो बोयेंगे वही काटेंगे...
ReplyDeleteबहुत बढियां गजल.....
:-)
प्रोत्साहन के लिए आपका हृदयसे आभार
Deleteकाटने और बोने का ये खेल जिंदगी...खूब कही...
ReplyDeleteआप का बहुत शुक्रिया होंसला अफजाई के लिए
Deletesundar rachna..
ReplyDeleteआपकी उत्साह बढ़ाने वाली प्रतिक्रिया मिली बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद !
Deleteवाह.. सत्य लिखा है ज़िन्दगी के बारे में.. बोने-काटने का खेल.. बहुत खूब!
ReplyDeleteआपकी प्यार भरी, उत्साह बढ़ाने वाली प्रतिक्रिया मिली बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद !
Deleteवाह जीवन का सत्य है इन शेरों में .. बहुत खूब ...
ReplyDeleteश्रद्धेय वर ; नमन !…… आप की हार्दिकता सदैव कुछ न कुछ नया करने को प्रेरित करती है | प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ
Deleteजिनके साथ रहना हैं नहीं मिलते क्यों दिल उनसे
ReplyDeleteखट्टी मीठी यादों को संजोने का है खेल जिंदगी।
इससे सुंदर सन्देश हो ही नहीं सकता. बहुत सुंदर अर्थपूर्ण प्रस्तुति.
आपकी उत्साह बढ़ाने वाली प्रतिक्रिया मिली बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद !
Deleteसुंदर रचना।।।
ReplyDeleteप्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ
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