Monday, October 29, 2012

प्यास


मेरे हमनसी मेरे हमसफ़र .तुझे खोजती है मेरी नजर
तुम्हें हो ख़बर की न हो ख़बर मुझे सिर्फ तेरी तलाश है

मेरे साथ तेरा प्यार है ,तो जिंदगी में बहार है
मेरी जिंदगी तेरे दम से है ,इस बात का एहसाश है



मेरे इश्क का है ये असर ,मुझे सुबह शाम की न ख़बर
मेरे दिल में तू रहती सदा , तू ना दूर है ना पास है

ये तो हर किसी का ख्याल है ,तेरे रूप की न मिसाल है
कैसें कहूं तेरी अहमियत मेरी जिंदगी में खास है

तेरी झुल्फ जब लहरा गयी, काली घटायें छा गयी
हर पल तुम्हें देखा करू ,आँखों में फिर भी प्यास है 



प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना  

3 comments:

  1. क्या कहने.
    बहुत ही सुन्दर लगी यह रचना..
    अति सुन्दर ,प्रेमपगी रचना..
    :-)

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  2. बेहतरीन प्रस्तुति बधाई स्वीकारें !
    आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है.....:-)

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  3. Monday, October 29, 2012
    प्यास
    मेरे हमनसी मेरे हमसफ़र .तुझे खोजती है मेरी नजर।।।।।।।।।।हमनशीं ....
    तुम्हें हो ख़बर की न हो ख़बर मुझे सिर्फ तेरी तलाश है

    मेरे साथ तेरा प्यार है ,तो जिंदगी में बहार है
    मेरी जिंदगी तेरे दम से है ,इस बात का एहसाश है।।।।।।।।एहसास .........

    मेरे इश्क का है ये असर ,मुझे सुबह शाम की न ख़बर
    मेरे दिल में तू रहती सदा , तू ना दूर है ना पास है

    ये तो हर किसी का ख्याल है ,तेरे रूप की न मिसाल है
    कैसें कहूं तेरी अहमियत मेरी जिंदगी में खास है

    तेरी झुल्फ जब लहरा गयी, काली घटायें छा गयी ...........ज़ुल्फ़ .....
    हर पल तुम्हें देखा करू ,आँखों में फिर भी प्यास है
    भाई साहब अच्छी गजल है .बधाई .

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