कल
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी का जन्मदिन है . आज भी उनके विचारो का हमारे
जीवन में बहुत मह्त्त्ब है। सवाल ये है की आज राजनेता गाँधी के विचारों
से कितना सरोकार रखतें है। एक दशक पूरब लिखी ये कबिता आज भी उतनी ही
प्रासंगिक है .
गाँधी और अहिंसा
कल शाम जब हम घूमने जा रह रहे थे
देखा सामने से गांधीजी आ रहे थे
नमस्कार लेकर बोले, आखिर बात क्या है?
पाहिले थी सुबह अब रात क्या है!
पंजाब है अशान्त क्यों ? कश्मीर में आग
क्यों?
देश का ये हाल क्यों ?नेता हैं शांत क्यों ?
अपने ही देश में जलकर के लोग मर रहे
गद्दी पर बैठकर क्या बे कुछ नहीं कर रहे
हमने कहा नहीं ,ऐसी बात तो नहीं हैं
कह रहा हूँ जो तुमसे हकीकत तो बही है
अहिंसा ,अपरिग्रह का पालन
बह कर रहें
कहा था जो आपने बही आज बह कर रहे
सरकार के मन में अब ये बात आयी है
हथियार ना उठाने की उसने कसम खाई है
किया करे हिंसा कोई ,हिंसा नहीं करेंगें हम
शत्रु हो या मित्र उसे प्रेम से देखेंगे
हम
मार काट लूट पाट हत्या राहजनी
जो मर्जी हो उनकी, अब बह चाहें जो करें
धोखे से यदि कोई पकड़ा
गया
पल भर में ही उसे बह छोड़ा करें
मर जाये सारी जनता चाहें ,उसकी परवाह नहीं है
चाहें जल जाये ही ,पूरा भारत देश अपना
हिंसा को कभी भी स्थान नहीं देते
अहिंसा का पूरा होगा बापू तेरा सपना
धन को अब हम एकत्र नहीं करते
योजना को अधर में लटका कर रखते
धन की जरुरत हो तो मुद्राकोष जो है
भीख मांगने की अपनी पुरानी आदत जो है
जो तुमने कहा हम तो उन्हीं पर चल रहे
तेरे सिधान्तों का अक्षरशा पालन कर रहे
आय जितनी अपनी है, खर्च उससे ज्यादा
धन एकत्र नहीं करेंगें ,ये था अपना वादाप्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
खुबसूरत प्रस्तुती |
ReplyDeleteबधाई स्वीकारें भाई जी ||
sundar rachana..
ReplyDeletebapu ko naman
sundar abhivyakti
Deleteबहुत खूबसूरती से आपने सच्चाई को शब्दों के घेरे में लिया है .
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