त्रासदी धर्म निर्पेक्षता का नारा बुलंद करने बाले आम आदमी का नाम लेने बाले किसान पुत्र नेता दलित की बेटी सदी के महा नायक क्रिकेट के भगबान सत्यमेब जयते की घोष करने बाले घूम घूम कर चैरिटी करने बाले सेलुलर सितारें अरबों खरबों का ब्यापार करने बाले घराने त्रासदी के इस समय में पीड़ित लोगों को नजर क्यों नहीं आ रहे .
फिर एक बार कुदरत का कहर फिर एक बार मीडिया में शोर फिर एक बार नेताओं का हवाई दौरा फिर एक बार दानबीरों की कर्मठता फिर एक बार प्रशाशन का कुम्भकर्णी नींद से जागना फिर एक बार मन में कौंधता अनुत्तरित प्रश्न आखिर ये कब तक हम चेतेंगें भी या नहीं आखिर जल जंगल जमीन की अहमियत कब जानेगें?
हुयी है आज बारिश और तन मन को भिगोती है सर्दी हो या गर्मी हो किस्मत आज रोती है किस्मत बनाने बाले .क्या नहीं तेरे खजाने में देता क्यों उनको है ,जरुरत जिनको नहीं होती है
ॐसर्वेभवन्तुसुखिनः सर्वेसन्तुनिरामयाः । सर्वेभद्राणिपश्यन्तु माकश्चिद्दुःखभाग्भवेत् । ॐशान्तिःशान्तिःशान्तिः ॥ ************************************************** उत्थान पतन मेरे भगवन है आज तुम्हारे हाथों में प्रभु जीत तुम्हारें हाथों में प्रभु हर तुम्हारें हाथों में
मुझमें तुममें है फर्क यही में नर हूँ तुम नारायण हो मैं खेलूँ जग के हाथों में संसार तुम्हारें हाथों में
तुम दीनबंधु दुखहर्ता हो तुम जग के पालन करता हो इस मुर्ख खल और कामी का उद्धार तुम्हारे हाथों में
मेरे तन मन के तुम स्वामी हो भगवन तुम अंतर्यामी हो मेरे जीवन की इस नौका का प्रभु भर तुम्हारे हाथों में
तुम भक्तों के रखबाले हो दुःख दर्द मिटने बाले हो तेरे चरणों में मुझे जगह मिले अधिकार तुम्हारे हाथों में मदन मोहन सक्सेना