राज ए दिल
उसे हम बोल क्या बोलें जो दिल को दर्द दे जाये
सुकूं दे चैन दे दिल को , उसी को बोल बोलेंगें ..
जीवन के सफ़र में जो मुसीबत में भी अपना हो
राज ए दिल मोहब्बत के, उसी से यार खोलेंगें ..
जब अपनों से और गैरों से मिलते हाथ सबसे हों
किया जिसने भी जैसा है , उसी से यार तोलेंगें ..
अपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
मिलेगा प्यार से हमसे ,उसी के यार होलेंगें ..
जितना हो जरुरी ऱब, मुझे उतनी रोशनी देना
अँधेरे में भी डोलेंगें उजालें में भी डोलेंगें ..
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
अपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
ReplyDeleteमिलेगा प्यार से हमसे ,उसी के यार होलेंगें ..
....बहुत खूब! ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
मिलेगा प्यार से हमसे ,उसी के यार होलेंगें
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सोच वाली बेहतरीन ग़ज़ल.
बहुत ही खूबसूरत बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति.
ReplyDeleteआज ( २९/०५/२०१३ - बुधवार )को आपकी यह पोस्ट ब्लॉग बुलेटिन - आईपीएल की खुल गई पोल पर लिंक की गयी हैं | आप भी नज़र करें और अपना मत व्यक्त करें | हमारे बुलेटिन में आपका हार्दिक स्वागत है | धन्यवाद!
ReplyDeleteअच्छी रचना, अच्छी भावना अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअच्छी रचना, अच्छी भावना अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअच्छी रचना, सुन्दर भावाविष्कार
ReplyDeleteवाह ... क्या बात है मदन जी ...
ReplyDeleteजब अपनों से और गैरों से मिलते हाथ सबसे हों
ReplyDeleteकिया जिसने भी जैसा है , उसी से यार तोलेंगें ..
मदन जी, अच्छी रचना,
behatrin likhte hain aap madanji
ReplyDeletebahut acha
ReplyDeleteवाह वाह सक्सेना जी
ReplyDeleteख़ूबसूरत प्रस्तुति..
ReplyDeleteअच्छी रचना
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