तू दूर क्यों है हमसे इतना जरा पता दे
तेरे प्यार के ही खातिर ,दुनियां बसायी मैनें
तेरे प्यार को ही पाकर महफ़िल सजाई मैनें
जितने भी गम थे मेरे उनको मैं भूलता था
मेरी दिलरुबा मेरे दिलबर तुमको ही पूजता था
मंजूर क्या खुदा को ये जान मैं न पाता
जो जान से है प्यारा बह दूर होता जाता
मेरे दिल की बस्ती सुनी तू अब तो दिल में आ जा
तेरी चाहत में जीयें हम तू छोड़कर अब न जा
सूरज से है तू सुन्दर चंदा से दिखती प्यारी
दुनियां में जितने दीखते उन सबमें तू है न्यारी
तुम से दूर रहकर दिलवर जीते जी मर रहे हैं
क्या खता है मेरी ये सोच डर रहे हैं
दुनियां है मेरी सूनी दिल में भी हैं अँधेरा
जो कुछ भी कल था अपना बह अब रहा न मेरा
मेरे हमनसी मेरे दिलबर अपने प्यार का पता दे
तू दूर क्यों है हमसे इतना जरा पता दे
काब्य प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना
शनिवार 04/08/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteThanks For information.
ReplyDeleteबहुत खूब सर!
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर
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