तुम भक्तों की रख बाली हो ,दुःख दर्द मिटाने बाली हो
तेरे चरणों में मुझे जगह मिले अधिकार तुम्हारे हाथों में
नब रात्रि में भक्त लोग माँ दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा अर्चना करके माँ का आश्रिबाद प्राप्त करतें है।
पहले दिन
मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है।
वन्दे वांछितलाभाय
चन्दार्धकृतशेखराम।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री
यशस्विनीम्।।
मां दुर्गा
की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है.
दधानां
करपद्माभ्यामक्ष मालाकमण्डलू.
देवी
प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..
यहां ‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ तपस्या है.
मां
दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम ‘चन्द्रघण्टा’ है.
पिण्डजप्रवरारूढा
चण्डकोपास्त्रकैयरुता.
प्रसादं
तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता..
मां
दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम ‘चन्द्रघण्टा’ है. नवरात्र उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के
विग्रह का पूजन-आराधन किया जाता है.
मां
दुर्गाजी के चौथे स्वरूप का नाम कूष्माण्डा है।
सुरासम्पूर्णकलशं
रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे।।
अपनी मन्द
, हलकी हंसी द्वारा अण्ड अर्थात् ब्रहृाण्ड को उत्पन्न करने के कारण
इन्हें कूष्माण्डा देवी के नाम से अभिहित किया गया है।
मां
दुर्गाजी के पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है।
सिंहासनगता
नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
ये भगवान्
स्कन्द 'कुमार कात्र्तिकेय' की माता है। इन्हीं भगवान् स्कन्द की माता होने के कारण
मां दुर्गा जी के इस पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना
जाता है।
मां दुर्गा
के छठवें स्वरूप का नाम कात्यायनी है।
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा
शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवद्यातिनी।।
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
प्रसिद्ध महर्षि कत के पुत्र ऋषि कात्य के गोत्र में महर्षि कात्यायन उत्पन्न
हुए थे। उन्होंने भगवती पराम्बा
की घोर उपासना की और उनसे अपने घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने का आग्रह किया। कहते हैं, महिषासुर का उत्पात बने पर ब्रहृा, विष्णु, महेश तीनों के तेज के अंश से
देवी कात्यायनी महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप
में उत्पन्न हुई थीं।
नवरात्र के
सातवें दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की उपासना की जाती
है.
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।
मां
कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यन्त भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने
वाली हैं. इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकरी' भी है.दुर्गा पूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की आराधना का विधान है.
मां
दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। इनका वर्ण पूर्णत: गौर है।
श्वेते वृषे
समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी
शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा।।
इस गौरता
की उपमा शंख, चन्द्र और कुन्द के फूल से दी
गयी है। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गयी है।
मां
दुर्गाजी की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है।
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।ये
सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। मार्कण्डेयपुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व-ये आठ सिद्धियां होती हैं।नवरात्र-पूजन के नवें दिन इनकी उपासना की जाती है।नव
दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अन्तिम
हैं।