जालिम लगी दुनियाँ हमें हर शख्श बेगाना लगा
हर पल हमें धोखे मिले अपने ही ऐतबार से
नफरत से की गयी चोट से हर जख़्म हमने सह लिया
घायल हुए उस रोज हम जिस रोज मारा प्यार से
प्यार के एहसास से जब जब रहे हम बेखबर
तब तब लगा हमको की हम जी रहे बेकार से
इजहार राजे दिल का वो जिस रोज मिल करने लगे
उस रोज से हम पा रहे खुशबु भी देखो खार से
प्यार से सबसे मिलो ये चार पल की जिंदगी है
मजा पाने लगा है अब ये मदन प्यार में तकरार से
घायल हुए उस रोज हम जिस रोज मारा प्यार से
मदन मोहन सक्सेना
प्यार से सबसे मिलो ये चार पल की जिंदगी है
ReplyDeleteमजा पाने लगा है अब ये मदन प्यार में तकरार से
सच चार दिन के जिंदगी में क्या बैर क्या तकरार, जिओ प्यार से
बहुत सुन्दर