Monday, January 23, 2017

मैं ,शेर और साहित्यपीडिया




 मैं ,शेर और साहित्यपीडिया


महकता है जहाँ सारा मुहब्बत की बदौलत ही
मुहब्बत को निभाने में फिर क्यों सारे झमेले हैं
http://wp.me/p7uU2K-1L5


गज़ब हैं रंग जीबन के गजब किस्से लगा करते
जबानी जब कदम चूमे बचपन छूट जाता है
http://wp.me/p7uU2K-1Bt


हर पल याद रहती है निगाहों में बसी सूरत
तमन्ना अपनी रहती है खुद को भूल जाने की
http://wp.me/p7uU2K-1w7


निगाहों में बसी सूरत फिर उनको क्यों तलाशे है
ना जाने ऐसा क्यों होता और कैसी बेकरारी है
http://wp.me/p7uU2K-1pe

इस कदर अनजान हैं हम आज अपने हाल से
हकीकत में भी ख्वावों का घेरा नजर आता है

ये दीवानगी अपनी नहीं तो और फिर क्या है मदन
हर जगह इक शख्श का मुझे चेहरा नजर आता है

http://wp.me/p7uU2K-1di






मदन  मोहन सक्सेना

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