मैं ,शेर और साहित्यपीडिया
महकता है जहाँ सारा मुहब्बत की बदौलत ही
मुहब्बत को निभाने में फिर क्यों सारे झमेले हैं
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गज़ब हैं रंग जीबन के गजब किस्से लगा करते
जबानी जब कदम चूमे बचपन छूट जाता है
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हर पल याद रहती है निगाहों में बसी सूरत
तमन्ना अपनी रहती है खुद को भूल जाने की
http://wp.me/p7uU2K-1w7
निगाहों में बसी सूरत फिर उनको क्यों तलाशे है
ना जाने ऐसा क्यों होता और कैसी बेकरारी है
http://wp.me/p7uU2K-1pe
इस कदर अनजान हैं हम आज अपने हाल से
हकीकत में भी ख्वावों का घेरा नजर आता है
ये दीवानगी अपनी नहीं तो और फिर क्या है मदन
हर जगह इक शख्श का मुझे चेहरा नजर आता है
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मदन मोहन सक्सेना
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