वो तो भला हो सुप्रीम कोर्ट का
और महाराष्ट्र हाई कोर्ट का
जिसकी बजह से
सूखाग्रस्त प्रदेश से
लीग का आयोजन बाहर चला गया
बरना मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन और आई पी एल ने तो
पूरी बेशर्मी से अपने कुतर्को को सामने रखने में कोई कसर बाकी नहीं रखी थी।
झूठे बादे किये गए थे
यदि आयोजन यहाँ हो रहा होता तो
प्यासे ,सूखा ग्रस्त लोगों के हिस्से का पानी
पेप्सी और कोक के इशारों पर नाचने बाले
तथाकथित खिलाड़ियों के पैरों तले रौंदने बाली घास को
हरा भरा रखने में खर्च हो रहा होता
और आम जनता
ये सब देखने को बिबश रहती
मराठी होते हुए भी गावस्कर और बेंगसर्कर को
जितनी फिक्र क्रिकेट को बचाने की है
उतनी चिंता प्यासे ,सूखा ग्रस्त लोगों की नहीं है
ये समझ से परे है।
भले ही राजीब शुक्ल का ताल्लुक कांग्रेस से हो
अनुराग ठाकुर का सम्बन्ध भारतीय जनता पार्टी से हो
और शरद पवार राष्ट्रिय कांग्रेस पार्टी से हों
पर
क्रिकेट की भलाई के लिए सब एक मत हैं।
पानी पॉलिटिक्स और प्रीमियर लीग
मदन मोहन सक्सेना
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