प्रिय मित्रो मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी रचना मदुराक्षर पत्रिका मेंशामिल की गयी है। आप की प्रतिक्रिया का स्वागत है.
हमको कुछ नहीं मालूम
देखा जब नहीं उनको और हमने गीत नहीं गाया
जमाना हमसे ये बोला की बसंत माह क्यों नहीं आया
बसंत माह गुम हुआ कैसे ,क्या तुमको कुछ चला मालूम
कहा हमने ज़माने से की हमको कुछ नहीं मालूम
पाकर के जिसे दिल में ,हुए हम खुद से बेगाने
उनका पास न आना ,ये हमसे तुम जरा पुछो
बसेरा जिनकी सूरत का हमेशा आँख में रहता
उनका न नजर आना, ये हमसे तुम जरा पूछो
जीवितं है तो जीने का मजा सब लोग ले सकते
जीवितं रहके, मरने का मजा हमसे जरा पूछो
रोशन है जहाँ सारा मुहब्बत की बदौलत ही
अँधेरा दिन में दिख जाना ,ये हमसे तुम जरा पूछो
खुदा की बंदगी करके अपनी मन्नत पूरी सब करते
इबादत में सजा पाना, ये हमसे तुम जरा पूछो
तमन्ना सबकी रहती है, की जन्नत उनको मिल जाए
जन्नत रस ना आना ये हमसे तुम जरा पूछो
सांसों के जनाजें को, तो सबने जिंदगी जाना
दो पल की जिंदगी पाना, ये हमसे तुम जरा पूछो
मदन मोहन सक्सेना
वाह बहुत बढ़िया। बधाई आपको।
ReplyDeleteबधाई मदन मोहन जी.
ReplyDeleteAdviceAdda.com presents' I’m Influencer, a superb opportunity for bloggers across India to participate and win sure shot prizes. You have a chance to be mentored by Kulwant Nagi (among top 10 Indian bloggers) in a day long workshop on ‘How to Make a Million Dollar Through Blogging’ (for Top 10 Bloggers). And top 3 bloggers will win prizes worth
ReplyDeleteFirst - 20,000 INR
Second - 15,000 INR
Third - 10,000 INR
To participate in this competition, register here: http://bit.ly/1iW6cag
For facebook post click here https://goo.gl/4JqGv8