नबें दिन मां
दुर्गाजी की नवीं शक्ति सिद्धिदात्री की आराधना
तुम भक्तों की रख बाली हो ,दुःख दर्द मिटाने बाली हो
तेरे चरणों में मुझे जगह मिले अधिकार तुम्हारे हाथों में
तेरे चरणों में मुझे जगह मिले अधिकार तुम्हारे हाथों में
तुम दीन भगिनी दुःख हर्ता हो ,तुम जग की पालनकर्ता हो
इस मुर्ख खल और कामी का उद्धार तुम्हारे हाथों में
उत्थान पतन मेरी मइया है आज तुम्हारें हाथों में
तेरे चरणों में मुझे जगह मिले अधिकार तुम्हारे हाथों में
नब रात्रि में भक्त लोग माँ दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा अर्चना करके माँ का आश्रिबाद प्राप्त करतें है।
मां
दुर्गाजी की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है।
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। मार्कण्डेयपुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व-ये आठ सिद्धियां होती हैं।
मां
सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल
पुष्प पर भी आासीन होती है। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा तथा
बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ
में कमल पुष्प है। नवरात्र-पूजन के नवें दिन इनकी उपासना की जाती है।
नव दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अन्तिम हैं। अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा-उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा-पूजा के नवें दिन इनकी उपासना में प्रवृत्त होते हैं। इन सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
नव दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अन्तिम हैं। अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा-उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा-पूजा के नवें दिन इनकी उपासना में प्रवृत्त होते हैं। इन सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (21-10-2015) को "आगमन और प्रस्थान की परम्परा" (चर्चा अंक-2136) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'