मेरे हमसफ़र
मेरे हमनसी मेरे हमसफ़र ,तुझे खोजती है मेरी नजर
तुम्हें हो ख़बर की न हो ख़बर ,मुझे सिर्फ तेरी तलाश है
मेरे साथ तेरा प्यार है ,तो जिंदगी में बहार है
मेरी जिंदगी तेरे दम से है ,इस बात का एहसास है
तेरे इश्क का है ये असर ,मुझे सुबह शाम की ना ख़बर
मेरे दिल में तू रहती सदा , तू ना दूर है और ना पास है
ये तो हर किसी का खयाल है ,तेरे रूप की न मिसाल है
कैसें कहूँ तेरी अहमियत, मेरी जिंदगी में खास है
तेरी झुल्फ जब लहरा गयी , काली घटायें छा गयी
हर पल तुम्हें देखा करू ,आँखों में फिर भी प्यास है
मदन मोहन सक्सेना
मेरे हमनसी मेरे हमसफ़र ,तुझे खोजती है मेरी नजर
तुम्हें हो ख़बर की न हो ख़बर ,मुझे सिर्फ तेरी तलाश है
मेरे साथ तेरा प्यार है ,तो जिंदगी में बहार है
मेरी जिंदगी तेरे दम से है ,इस बात का एहसास है
तेरे इश्क का है ये असर ,मुझे सुबह शाम की ना ख़बर
मेरे दिल में तू रहती सदा , तू ना दूर है और ना पास है
ये तो हर किसी का खयाल है ,तेरे रूप की न मिसाल है
कैसें कहूँ तेरी अहमियत, मेरी जिंदगी में खास है
तेरी झुल्फ जब लहरा गयी , काली घटायें छा गयी
हर पल तुम्हें देखा करू ,आँखों में फिर भी प्यास है
मदन मोहन सक्सेना
आपकी इस पोस्ट को शनिवार, ३० मई, २०१५ की बुलेटिन - "सोशल मीडिया आशिक़" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद।
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को शनिवार, ३० मई, २०१५ की बुलेटिन - "सोशल मीडिया आशिक़" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद।
ReplyDeleteतेरी झुल्फ जब लहरा गयी , काली घटायें छा गयी
ReplyDeleteहर पल तुम्हें देखा करू ,आँखों में फिर भी प्यास है,,,
प्रेम की प्यास है ये जो कभी नहीं बुझती ... लाजवाब भावपूर्ण लिखा है ...