मेरे हमनसी मेरे हमसफ़र ,तुझे खोजती है मेरी नजर
तुम्हें हो ख़बर की न हो ख़बर ,मुझे सिर्फ तेरी तलाश है
मेरे साथ तेरा प्यार है ,तो जिंदगी में बहार है
मेरी जिंदगी तेरे दम से है ,इस बात का एहसाश है
तेरे इश्क का है ये असर ,मुझे सुबह शाम की ना ख़बर
मेरे दिल में तू रहती सदा , तू ना दूर है और ना पास है
ये तो हर किसी का ख्याल है ,तेरे रूप की न मिसाल है
कैसें कहूँ तेरी अहमियत, मेरी जिंदगी में खास है
तेरी झुल्फ जब लहरा गयी , काली घटायें छा गयी
हर पल तुम्हें देखा करू ,आँखों में फिर भी प्यास है
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteबेहद सुन्दर रचना...
ReplyDeleteबहुत खूब....
:-)
वाह ! शानदार प्रस्तुति . एक - एक शब्द का चयन बहुत ही खूबसूरती से किया गया है .बधाई .
ReplyDeleteमेरा ब्लॉग स्वप्निल सौंदर्य अब ई-ज़ीन के रुप में भी उपलब्ध है ..एक बार विसिट अवश्य करें और आपकी महत्वपूर्ण टिप्पणियों व सलाहों का स्वागत है .आभार !
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-स्वप्निल शुक्ला
बहुत अच्छी रचना ...अनेक शुभकामनाएं !!!
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना ...अनेक शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना ...अनेक शुभकामनाएं
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