Friday, May 10, 2013

जिंदगी

















जिंदगी


दिल के पास हैं लेकिन निगाहों से बह ओझल हैं
क्यों असुओं से भिगोने का है खेल जिंदगी।

जिनके साथ रहना हैं ,नहीं मिलते क्यों दिल उनसे
खट्टी मीठी यादों को संजोने का है खेल जिंदगी।

किसी के खो गए अपने, किसी ने पा लिए सपनें
क्या पाने और खोने का है खेल जिंदगी।

उम्र बीती और ढोया है, सांसों के जनाजे को
जीवन सफर में हँसने रोने का है खेल जिंदगी।

किसी को मिल गयी दौलत, कोई तो पा गया शोहरत
मदन बोले , काटने और बोने का ये खेल जिंदगी।
 


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

2 comments:

  1. उम्र बीती और ढोया है, सांसों के जनाजे को
    जीवन सफर में हँसने रोने का है खेल जिंदगी।

    बहुत ही सार्थक ग़ज़ल की प्रस्तुति,आभार.

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  2. किसी को मिल गयी दौलत, कोई तो पा गया शोहरत

    भई वाह ,
    गज़ब की अभिव्यक्ति है , मंगल कामनाएं आपकी कलम को !

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