Wednesday, July 13, 2016

मुहब्बत को बयाँ करना किसके यार बश में है






 मुसीबत यार अच्छी है पता तो यार चलता है
कैसे कौन कब कितना,  रंग अपना बदलता है

किसकी कुर्बानी को किसने याद रक्खा है दुनिया में
जलता तेल और बाती है कहते दीपक जलता है

मुहब्बत को बयाँ करना किसके यार बश में है
उसकी यादों का दिया अपने दिल में यार जलता है

बैसे जीवन के सफर में तो कितने लोग मिलते हैं
किसी चेहरे पे अपना  दिल  अभी भी तो मचलता है

समय के साथ बहने का मजा कुछ और है यारों
रिश्तें भी बदल जाते समय जब भी बदलता है

मुसीबत यार अच्छी है पता तो यार चलता है
कैसे कौन कब कितना,  रंग अपना बदलता है


मुहब्बत को बयाँ करना किसके यार बश में है 

 मदन मोहन सक्सेना




Saturday, June 11, 2016

ये दीवानगी अपनी नहीं तो और फिर क्या है


हम आज तक खामोश हैं  और वो भी कुछ कहते नहीं
दर्द के नग्मों  में हक़ बस मेरा नजर आता है 


देकर दुआएँ  आज फिर हम पर सितम वो  कर गए
अब क़यामत में उम्मीदों का सवेरा नजर आता है


क्यों रोशनी के खेल में अपना आस का पँछी  जला
हमें अँधेरे में हिफाज़त का बसेरा नजर आता है


इस कदर अनजान हैं  हम आज अपने हाल से
हकीकत में भी ख्वावों का घेरा नजर आता है 


ये दीवानगी अपनी नहीं तो और  फिर क्या है मदन
हर जगह इक शख्श का मुझे  चेहरा नजर आता है



मदन मोहन सक्सेना