Sunday, October 13, 2013

तूफान का मुकाबला

 

















शांति से कौन रहना नहीं चाहता
या कहिये किसको शांति से रहना पसंद नहीं
पर कभी कभी
मानबीय और प्राकतिक कारणों से
शांति भंग होकर तूफान आ जाता है
अभी हाल में ही
देश के कुछ हिस्सों ने
भीषण चक्रवाती तूफान फैलिन
का अनुभव किया
मौसम बैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार ही
शनिवार रात ओडिशा के तट पर पहुंचा
इस तूफान को गत वर्षों में आया सबसे भीषण तूफान माना जा रहा है
लेकिन इससे पहले के मुकाबले तबाही काफी कम रही
क्योंकि
भारतीय मौसम बैज्ञानिकों ने
इस का सटीक अनुमान पहले से लगा लिया था
मीडिया ने भी जागरूक करने का कम किया
केंद्र सरकार की और राज्य सरकार की एजेंसियों ने
बेहतर तालमेल से
लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंच दिया

और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार (एनडीएमए) ने बेहतर कार्य किया
संकट की इस घडी में सब ने
जिस तरह से आपसी तालमेल से तूफान का
मुकाबला किया
निसंदेह गर्ब का बिषय है
उम्मीद की जानी चाहियें कि
आने बाले कल में भी
हम सब एक रहेंगें
ताकि किसी भी तूफान का मुकाबला कर
सुख शांति से सभी भारत बासी
अपने देश में रह सकें .






प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

Thursday, October 10, 2013

सोच पर तरस















सोच पर तरस

तरस आता है
मुझे उन लोगों की सोच पर
जो लोग आंतकबादी की पहचान भी धर्म से करने लगते हैं
और
संतों के दुराचरण में भी
हिन्दू धर्म और सनातन धर्म को बीच में ले आते हैं
धर्म लोगों को
आपस में मिलजुल कर रहने की सीख देता है
आतंक ,यौनाचार
करने बाला सिर्फ
मानबता का अपराधी है
उसका कोई धर्म नहीं होता है


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

Tuesday, October 1, 2013

समय समय का फेर

















 










समय समय की बात है समय समय का फेर
पशुओं को भी लग रहा देर सही ना अंधेर

बात बात पर लालूजी हँसते और मुसकाय
सजा सुनी ज्यों ही तभी दिल बैठा सा जाय

पहले लालू जी चले और पीछे चले मसूद
सख्ती से अब कोर्ट की कम होने लगा बजूद

चारा का तो हो गया कोयला का क्या होय
बोया (खाया )जैसा आपने फल भी बैसा होय

जनता की ये जीत है या भ्रष्टाचार की हार
जुगत मिलाने के लिए फिर नेता अब तैयार

 


मदन मोहन सक्सेना .