त्रासदी
धर्म निर्पेक्षता का नारा बुलंद करने बाले
आम आदमी का नाम लेने बाले
किसान पुत्र नेता
दलित की बेटी
सदी के महा नायक
क्रिकेट के भगबान
सत्यमेब जयते की घोष करने बाले
घूम घूम कर चैरिटी करने बाले सेलुलर सितारें
अरबों खरबों का ब्यापार करने बाले घराने
त्रासदी के इस समय में
पीड़ित लोगों को नजर
क्यों नहीं आ रहे .
मदन मोहन सक्सेना
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पहले का मंदिर का चित्र |
फिर एक बार कुदरत का कहर
फिर एक बार मीडिया में शोर
फिर एक बार नेताओं का हवाई दौरा
फिर एक बार दानबीरों की कर्मठता
फिर एक बार प्रशाशन का कुम्भकर्णी नींद से जागना
फिर एक बार
मन में कौंधता
अनुत्तरित प्रश्न
आखिर ये कब तक
हम चेतेंगें भी या नहीं
आखिर
जल जंगल जमीन की अहमियत कब जानेगें?
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अभी का मंदिर का चित्र |
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना