Wednesday, June 12, 2013

जरुरत


 














हुयी है आज बारिश और  तन मन को भिगोती है
सर्दी हो या गर्मी हो किस्मत आज रोती  है
किस्मत बनाने बाले .क्या नहीं तेरे खजाने में
देता क्यों उनको है ,जरुरत जिनको नहीं होती है 



प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना 

Friday, June 7, 2013

बिनती


 

















सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्
शान्तिः शान्तिः शान्तिः

**************************************************
उत्थान पतन मेरे भगवन है आज तुम्हारे हाथों में
प्रभु जीत तुम्हारें हाथों में प्रभु हर तुम्हारें हाथों में

मुझमें तुममें है फर्क यही में नर हूँ तुम नारायण हो
मैं खेलूँ जग के हाथों में संसार तुम्हारें हाथों में

तुम दीनबंधु दुखहर्ता हो तुम जग के पालन करता हो
इस मुर्ख खल और कामी का उद्धार तुम्हारे हाथों में

मेरे तन मन के तुम स्वामी हो भगवन तुम अंतर्यामी हो
मेरे जीवन की इस नौका का प्रभु भर तुम्हारे हाथों में

तुम भक्तों के रखबाले हो दुःख दर्द मिटने बाले हो
तेरे चरणों में मुझे जगह मिले अधिकार तुम्हारे हाथों में



मदन मोहन सक्सेना