Wednesday, April 17, 2013

सुन्दर हिंदी प्यारी हिंदी में प्रकाशित ग़ज़ल(हालात कैसे आज बदले है)
















 







सुन्दर हिंदी प्यारी हिंदी में प्रकाशित ग़ज़ल :





दीवारें ही दीवारें नहीं दीखते अब घर यारों
बड़े शहरों के हालात कैसे आज बदले है.

उलझन आज दिल में है कैसी आज मुश्किल है
समय बदला, जगह बदली क्यों रिश्तें आज बदले हैं

जिसे देखो बही क्यों आज मायूसी में रहता है
दुश्मन दोस्त रंग अपना, समय पर आज बदले हैं

जीवन के सफ़र में जो पाया है सहेजा है
खोया है उसी की चाह में ,ये दिल क्यों मचले है

समय ये आ गया कैसा कि मिलता अब समय ना है
रिश्तों को निभाने के अब हालात बदले हैं



(आप के लिए श्री मदन मोहन सक्सेना जी की रचना "हालात कैसे आज बदले है")

Monday, April 8, 2013

उलझन


















उलझन




दीवारें ही दीवारें नहीं दीखते अब घर यारों 
बड़े शहरों के हालात कैसे आज बदले है. 

उलझन आज दिल में है कैसी आज मुश्किल है 
समय बदला, जगह बदली क्यों रिश्तें आज बदले हैं 

जिसे देखो बही क्यों आज मायूसी में रहता है 
दुश्मन दोस्त रंग अपना, समय पर आज बदले हैं 

जीवन के सफ़र में जो पाया है सहेजा है 
खोया है उसी की चाह में ,ये दिल क्यों मचले है 

समय ये आ गया कैसा कि मिलता अब  समय ना है 
रिश्तों को निभाने के अब हालात बदले हैं 


 प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना  
 

Monday, March 25, 2013

होली है


















होली है



तन से तन मिला लो अब मन से मन भी मिल जाये  
प्रियतम ने प्रिया से आज मन की बात खोली है 


ले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज 
यारों कब मिले मौका  अब  छोड़ों ना कि होली है. 

मौसम आज रंगों का , छायी अब खुमारी है 
चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है 

क्या जीजा हों कि साली हो ,देवर हो या भाभी हो 
दिखे रंगनें में रंगानें में ,सभी मशगूल होली है 

प्रियतम क्या प्रिय क्या अब सभी रंगने को आतुर हैं 
हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है 

ना शिकबा अब रहे कोई ,ना ही दुश्मनी पनपे 
गले अब मिल भी जाओं सब, कि आयी  आज होली है   


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना 






Thursday, March 14, 2013

नजरिया


















नजरिया

मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान उसको क्यों
मौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता है .

किसी का दर्द पाने की तमन्ना जब कभी उपजे
जीने का नजरिया फिर उसका बदल जाता है  ..

चेहरे की हकीकत को समझ जाओ तो अच्छा है
तन्हाई के आलम में ये अक्सर बदल जाता है ...

किसको दोस्त माने हम और किसको गैर कह दें हम
 जरुरत पर सभी का जब हुलिया बदल जाता है ....

दिल भी यार पागल है ना जाने दीन दुनिया को
किसी पत्थर की मूरत पर अक्सर मचल जाता है .....

क्या बताएं आपको हम अपने दिल की दास्ताँ
जितना दर्द मिलता है ये उतना संभल जाता है ......



प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना 

Thursday, March 7, 2013

चार पल











चार पल

कभी गर्दिशों  से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ
चार पल की जिन्दगी का ऐसे  कट जाना हुआ..

इस आस में बीती उम्र कोई हमे अपना कहे .
अब आज के इस दौर में ये दिल भी बेगाना हुआ

जिस रोज से देखा उन्हें मिलने लगी मेरी नजर
आखो से मय  पीने लगे मानो की मयखाना हुआ

इस कदर  अन्जान हैं  हम आज अपने हाल से
हमसे मिलकरके बोला आइना ये शख्श बेगाना हुआ

ढल नहीं जाते हैं  लब्ज यूँ ही रचना में कभी
कभी ग़ज़ल उनसे मिल गयी कभी गीत का पाना हुआ


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना  

Friday, March 1, 2013

मुक्तक (अपना हाल)

 
 
अपना हाल

अपना हाल ऐसा है की हम जाने और दिल जाने
पल भर भी बो ओझल हो तो देता दिल हमें ताने
रह करके सदा   उनका  हमें जीना  हमें मरना 
गुजारिश  है खुदा  से  अब ,  हमको  न  जुदा  करना 

प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना

Wednesday, February 20, 2013

बिबश्ता

















बिबश्ता

आँखों  में  जो सपने थे, सपनों में जो सूरत थी
नजरें जब मिली उनसे बिलकुल बैसी  मूरत थी

जब भी गम मिला मुझको या अंदेशे कुछ पाए हैं
बाजू में बिठा कर के ,उन्होंने अंदेशे मिटाए हैं

उनका साथ पाकर के तो दिल ने ये ही  पाया है
अमाबस की अँधेरी में ज्यों चाँद निकल पाया है

जब से मैं मिला उनसे , दिल को यूँ खिलाया है
अरमां जो भी मेरे थे हकीकत में  मिलाया है

बातें करनें जब उनसे  हम उनके पास हैं जाते
चेहरे  पे जो रौनक है उनमें हम फिर खो जाते

ये मजबूरी जो अपनी है हम  उनसे बच नहीं पाते
जब देखे रूप उनका तो हम बाते कर नहीं पाते 

बिबश्ता देखकर मेरी सब कुछ बह समझ  जाते 
आँखों से ही करते हैं बे अपने दिल की सब बातें




काब्य प्रस्तुति :   
मदन मोहन सक्सेना



Thursday, February 14, 2013

वसंत पंचमी



आप सब को वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाए.माँ शारदे की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे.


मदन मोहन सक्सेना .


Wednesday, February 13, 2013

मुहब्बत(प्यार ,प्रेम स्नेह ,प्रीत ,लगाब )

 
 
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
वैलेनटाइन दिन पर मुहब्बत (प्यार ,प्रेम स्नेह ,प्रीत ,लगाब )जो भी नाम दे दें ,को समर्पित एक कबिता आप सब के लिए प्रस्तुत है।

प्यार रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखे
प्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार बिन सूना सारा ये संसार है

प्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए हैं  सभी
प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है

प्यार के गीत जब गुनगुनाओगे तुम ,उस पल खार से प्यार पाओगे तुम
प्यार दौलत से मिलता नहीं है कभी ,प्यार पर हर किसी का अधिकार है

प्यार से अपना जीवन सभारों जरा ,प्यार से रहकर हर पल गुजारो जरा
प्यार से मंजिल पाना है मुश्किल नहीं , इन बातों से बिलकुल न इंकार है

प्यार के किस्से हमको निराले लगे ,बोलने के समय मुहँ में ताले लगे
हाल दिल का बताने जब हम मिले ,उस समय को हुयें हम लाचार हैं

प्यार से प्यारे मेरे जो दिलदार है ,जिनके दम से हँसीं मेरा संसार है
उनकी नजरो से नजरें जब जब मिलीं,उस पल को हुए उनके दीदार हैं

प्यार जीवन में खुशियाँ लुटाता रहा ,भेद आपस के हर पल मिटाता रहा
प्यार जीवन की सुन्दर कहानी सी है ,उस कहानी का मदन एक किरदार है

प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

Monday, February 11, 2013

मुक्तक (आदत)






















मयखाने की चौखट को कभी मदिर न समझना तुम
मयखाने जाकर पीने की मेरी आदत नहीं थी
चाहत से जो देखा मेरी ओर उन्होंने
आँखों में कुछ छलकी मैंने थोड़ी पी थी



प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना